अंतिम बार अपडेट किया : 14 Aug, 2020
प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान की जानकारी संकलित करने और प्रदेश आपदा प्रभावितों को त्वरित राहत प्रदाय किये जाने एवं प्रदाय की जा रही राहत की निरन्तर मॉनीटरिंग करने के उद्देश्य से राजस्व विभाग के अंतर्गत राहत आयुक्त कार्यालय की स्थापना वर्ष 1979-80 में शासन द्वारा की गई। प्राकृतिक प्रकोपों जैसे अतिवृष्टि, ओला, असमयवृष्टि (बेमौसम वर्षा), पाला, शीतलहर, कीट, इल्ली, टिड्डी आदि, बाढ़ आंधी, तूफान, भूकंप, सूखा, सर्पदंश, आकाशीय बिजली एवं अग्नि दुर्घटनाओं से फसल क्षति, जनहानि व पशुहानि एवं अन्य संपत्ति की क्षति होती है। कभी-कभी दुकानों में आग लग जाने से छोटे दुकानदारों को बेरोजगार होना पड़ता है। प्राकृतिक प्रकोपो से कृषक व आमजन बेघरबार भी हो जाते है। साथ ही अफलन से फसल हानि होने से कृषकों को अप्रत्याशित क्षति उठानी पड़ती है। इन सब परिस्थितियों में शासन का यह दायित्व हो जाता है कि संबंधित पीडितों को तत्काल अनुदान के रूप में आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जाये, जिससे संबंधित पर आई विपदा का मुकाबला करने को लिए उनमें मनोबल बना रहे और वह अपने परिवार को पुनर्स्थापित कर सके। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए राहत आयुक्त कार्यालय की स्थापना की गई है। राहत आयुक्त द्वारा आर.बी.सी. 6-4 के प्रावधानों के अंतर्गत अपने मैदानी अमले के द्वारा आपदा का सर्वेक्षण, मूल्यांकन एवं राहत राशि का भुगतान किया जाता है। आपदाओं की निगरानी, प्रबंधन एवं पुनर्स्थापन का कार्य भी राहत आयुक्त के माध्यम से किया जाता है।