अंतिम बार अपडेट किया : 17 Aug, 2020
राहत आयुक्त कार्यालय का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं जैसे अतिवृष्टि, ओला, असमयवृष्टि (बेमौसम वर्षा), पाला, शीतलहर, कीट-इल्ली, टिड्डी आदि, बाढ़, आंधी, तूफान, भूकंप, सूखा एवं अग्नि दुर्घटनाओं से हुई क्षति के मामलों में प्रभावितों के साथ पूरी संवेदनशीलता के साथ राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 में निहित प्रावधानों के तहत प्रभावितों को त्वरित आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना है। साथ ही समय-समय पर आपदा पूर्व निर्देश जारी कर प्राकृतिक आपदा के कुप्रभाव को कम कर जनधन एवं संपत्ति को प्रभावित होने से बचाना है।
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अपने सीमित अमले की सहायता से यह कार्यालय सभी प्राकृतिक आपदाओं की विस्तृत जानकारी एकत्रित कर उनका सारणीकरण कर राज्य शासन को अवगत कराता है।
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राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 में निर्धारित मापदण्डों के अन्तर्गत जिला कलेक्टरों के माध्यम से प्रभावितों को त्वरित तथा यथायोग्य सहायता राशि प्रदान की जाती है।
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इस कार्यालय द्वारा वर्षा ऋतु में राज्य स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष 24 घंटे संचालित कर वर्षा तथा बाढ़ की स्थिति की निरंतर मॉनीटरिंग की जाती है। साथ ही आवश्यकता होने पर जिलों में तत्काल राहत सहायता हेतु एनडीआरएफ बल आदि की सेवायें उपलब्ध कराने हेतु सहयोग प्रदान किया जाता है।
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मानसून पूर्व ही बाढ़ की स्थिति से निपटने हेतु बाढ़ पूर्व तैयारियों के संबंध में समस्त जिलों को निर्देश जारी किये जाते है। ताकि अतिवृष्टि की स्थिति में इससे होने वाली क्षति एवं कुप्रभावों को कम किया जा सके।
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राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के अंतर्गत प्राकृतिक प्रकोप से फसल क्षति की स्थिति में यथायोग्य राहत राशि दिये जाने का प्रावधान रखा गया है। फसलों पर कीट प्रकोप, गेरूआ आदि रोग एवं अफलन की स्थिति में भी प्रभावितों को राहत राशि प्रदाय की जाती है।
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प्राकृतिक आपदा की स्थिति में पशु, पक्षी हानि पर आर्थिक सहायता का प्रावधान रखा गया है। व्यापक आपदा की स्थिति में पशु शिविर की व्यवस्था हेतु भी राहत राशि प्रदाय की जाती है।
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प्राकृतिक आपदा से मकान क्षति होने की स्थिति में राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के तहत राहत राशि प्रदाय किये जाने का प्रावधान है। जिसमें कच्चा एवं पक्का मकान क्षति के साथ पशुघर, कपड़े, बर्तन, खाद्यान की क्षति हेतु भी आर्थिक सहायता दी जाती है निजी कुए एवं नलकूप की क्षति होने पर भी राहत राशि दिए जाने का प्रावधान रखा गया है।
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प्राकृतिक आपदा से जनहानि होने पर शासन द्वारा राहत राशि मृतक के वारिस को उपलब्ध कराई जाती है। प्राकृतिक आपदा से किसी व्यक्ति के घायल होने एवं शारीरिक अंग हानि होने पर भी निर्धारित मानदण्ड अनुसार राहत राशि प्रदाय किये जाने की व्यवस्था की गई है।
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नैसर्गिक आपदा से कुम्हार के भट्टे एवं ईंट बरबाद होने पर एवं प्रभावित बुनकर/हस्तशिल्पियों को उनके उपकरण तथा तैयार माल/कच्चा माल क्षतिग्रस्त होने पर साथ ही दुकानदारों की दुकानों के क्षतिग्रस्त होने पर आर्थिक सहायता दिये जाने का प्रावधान रखा गया है।
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बाढ़ एवं तूफान से प्रभावित मछुआरों के नाव, जाल आदि उपकरण की क्षति होने पर मरम्मत के लिए राहत राशि दिये जाने का प्रावधान किया गया है।
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प्राकृतिक आपदा से कृषक की बैलगाड़ी एवं अन्य कृषि उपकरण नष्ट होने पर अनुदान सहायता राशि दिये जाने का प्रावधान रखा गया है।
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व्यापक आपदा की स्थिति में अस्थायी राहत कैंपों में निशुल्क रहने एवं भोजन की व्यवस्था हेतु भी प्रावधान राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 में निहित है।
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व्यापक आपदाओं के आने पर एसडीआरएफ के निर्धारित राशि एवं राज्य शासन से उपलब्ध बजट से अधिक व्यय होने की संभावना पर भारत सरकार को मेमोरेण्डम भेजा जाकर अतिरिक्त सहायता राशि की मांग राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि (N.D.R.F.) से की जाती है।